- नमस्कार
दोस्तों आज हम बात करने वाले है एक ऐसे विश्वस्तरीय दिन की जिसकी सुरुवात को एक सदी बीत गई पर मनाने की परम्परा आज भी पुरे उम्मंग के साथ जारी है बहुत अच्छा लगता है जब हम इस तरह किसी खाश मोके पर एक विशेष शक्ति को महसूस कर पते है वो शक्ति कोई और नहीं पुरे विश्व में फैली सबसे बड़ी इंसानी शक्ति है जिसे हम दुनिया भर में एक ही नाम से पुकारते है "विमेंस पावर" यानि नारीशक्ति ..
जी हाँ दुनिया में जब पहली बार इस दिन को मनाया गया तब कुछ ही ऐसे देश थे जिन्हो ने इस दिन महिलाओ को सम्मान देना शुरू किया फिर देखते देखते न चाहते हुए भी लोगो को इस खास दिन का मान रखने के लिए इसको अपनाना पड़ा पुरुष प्रधान मानसिकता वाले देश और समाज को भी यह दिखावा करना पड़ा की वो भी महिलाओ का पूरा सम्मान करते हैं.. लेकिन सवाल ये उठता है क्या वाकई ऐसा कुछ हैं भी ? या सिर्फ एक दिखावे के रूप में हम इस प्रकार का नाटक कर रहे हैं क्यों की अगर यही सच हैं तो फिर इस साल विश्व महिला दिवस की की थीम कुछ और ही कहती हैं|| i am generation equality reatizin womens rights
- इसका मतलब होता हैं महिलाओ को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और जेंडर इक्वालिटी पर बात करना थीम बढ़िया हैं पर दुःख केवल इस बात का हैं की ये थीम हकीकत में क्यों नहीं बदल रही क्या कारण है ? हमने अधिकार दे दिए पर वो इनको उपयोग कैसे करे जब हम ही अधिकारों का गला दबाने को आतुर हैं
वो २३ साल की लड़की निर्भया < रेफ पीड़ित > आज ऊपर वाले से यही सवाल कर रही होगी की ये दुनिया बाते बहुत करती हैं पर अधिकार देने के पहले जान ले लेती हैं और उसकी माँ आशा देवी ये आशा लिए ७ साल से बैठी हैं न्याय एक दिन तो होकर रहेगा | उनके अधिकारों का क्या कही आस हैं या सिर्फ धुआँ खेर जो खोना था खो गया अब तसल्ली देने के लिए कुछ तो न्यायपालिका जरूर करेगी ||
हम बात करते हैं भारतीय महिलाओ की और आज इस बात में कोई दो राय नहीं की के देश की महिलाए आज मर्दो से भी आगे जाने का सहस कर रही हैं लेकिन सिर्फ कुछ एक ही ऐसा कर पा रही है इसके पीछे का कारन चिंता का विषय हैं क्यों की देश में आज भी काम काज़ी महिलाओ की कमी नही हैं किन्तु इनका दायरा सिमित हैं घर के काम काज़ो तक पर जिस जिस महिला ने सहस किया उसका नाम और काम पूरी दुनिया जानती हैं ...
12अप्रैल 2011 एक लड़की को ट्रैन में कुछ लोग लूटने का प्रयास करते हैं लड़की के विरोध करे पर उसे ट्रैन से बाहर फैक दिया जाता हैं ट्रैन से गिर कर वो लड़की ट्रैन की चपेट में आ जारी हैं और उसके दोनों पैर कट जाते हैं रात भर में 36 ट्रेंस उसके कटे पेरो के ऊपर से निकल जाती हैं और वो पूरी रात रेलवे ट्रैक पर पड़ी रहरी हैं लेकिन उस रात दर्द को सहते हुए वह सिर्फ एक ही बात सोचते रहती हैं की अब वो एक असहाय बन कर नहीं रहना चाहती < दोनों पैर कटने के बाद.> और उस रात जो उसके मन में आया वो तो खुद ऊपर वाला भी नहीं सोच सकता जानते हैं क्या ? उसने फैसला किया की वो दुनिया की सबसे ऊँचे सिखर यानि माउंट एवरेस्ट चढ़ेगी और जब अगले दिन हॉस्पिटल में उसने अपने इस सपने को लोगो को बताया तो सब ने समझा लड़की को मैंटल डिसऑर्डर हो गया हैं पर १साल हॉस्पिटल में रहने के बाद भी जब उसकी ज़ीद नहीं बदली तो आखिर कर घरवालों ने उसकी बात मान ली और हॉस्पिटल से निकलने के बाद वो सीधे इंडिया की पहली माउंटेन क्लैम्बर बिछेंद्री पाल जी से मिलने पहुंच गई और उनसे हेल्प मांगी उसकी बाते सुन कर पाल मेडम को भी आश्चर्य हुए लेकिन उन्हों ने उसका सहस नहीं तोड़ा और कहा बेटा तू ने तो पहले ही सिखर पार कर लिया अब तो सिर्फ लोगो को दिखाना रह गया हैं और १ साल की कड़ी ट्र्रेनिंग के बाद जब वह माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर पहुंची तो शेरपा ने उसे ऊपर ले जाने से मना कर दिया पर उसकी ज़ीद के आगे शेरपा भी नतमस्तक था जब वो ऊपर पहुंच ही रही थी की रस्ते में अचानक उसका ऑक्सिजन ख़तम होने लगा एक बार फिर शेरपा ने उसे निचे चलने को कहा पर वो लड़की कहा ma वाली मानाने थी और कुछ ही देर में वो दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत के टॉप पर थी ||| फिर क्या था एक के बाद एक सातो महाद्वीपों के टॉप पॉइंट्स पर वो लड़की चढ़ चुकी है और दुनिया की पहली अपांग माउंटेन क्लैम्बर हैं ..फ़िल्मी लगने वाली ये अच्छी कहानी हैं अरुणिमा सिन्हा की ये बिहार स्टेट की रहने वाली हैं और एक नेशनल बालीबाल प्लेयर भी रह चुकी हैं
कहानिया बहुत हैं फिर चाहे वो झारखण्ड के छोटे से गाओ की लड़की जिसने अपने नाम के बाद दुनिया के सबसे बड़े स्पोर्ट शोज एडिडास को बदल कर अपने नाम का ब्रांड हिमादास बनाने को मजबूर कर दिया हो आखिर ऐसा हो भी क्यों न एक के बाद पांच गोल्ड मैडल भी तो दुनिया में सबसे काम टाइम में उस दुबली पतली लड़की ने जीते हैं अरे इसको ही तो साहस कहते हैं पेरो में जूते नहीं थे पर सपनो की उड़ान बड़ी थी
एमसी मेरीकाम < बॉक्सिंग >
सानिया मिर्ज़ा और नेहवाल <लॉन्ग टेनिस >
पी बी संधू < बैडमिंटन >
कंगना रनोट < अभिनेत्री >
सुषमा स्वराज < राजनीति >
अधूरिता भट्टाचार्य < बैंकिंग >
अवनि चतुर्वेदी < फ़ास्ट फाइटर प्लेन पायलट भारतीय >
आशा भोसले ,लता मंगेशकर नेहा कक्कर < सिंगर >
सुधा चंद्र, डोडा गांगुली < डांसर >
बबिता ताड़े < के बी सी १ करोड़ विनर २०२०> - और आप .................?
- अगला नम्बर आपका हो सकता हैं अगर आपको देखना हैं दुनिया की सबसे मजबूत महिला को तो कृपया एक बार अभी जा कर आइना देखे आपको वो मिल जाएगी तलाश आप कर रही हैं तो मेरा यह निवेदन हैं आप सभी महिलाओ से की किसी के देने से अधिकार को महसूस मत करिये सिर्फ अपनी प्रतिभा को पहचानिये जिद्द और जूनून के साथ सहस करिये और खुद अपने आप को दुनिया से रु बा रु करवाइये जिससे आने वाले सालो में महिलाओ का सम्मान सिर्फ दिखावे तक सिमित न हो कर दिल से किया जाए ||
डिफ़ॉल्ट नहीं डिज़ाइन मोड में रहना हैं
मजबूरी में नहीं मजबूती से जीना हैं ||
और देश में अपना नहीं दुनिया में देश का नाम रोशन करना हैं ||
आप सभी नारीशक्ति को मेरा प्रणाम
जयहिंद
i am generation equality reatizin womens rights मतलब अब कोई निर्भया नहीं ?